मिथिलामैथिल के सभी पाठकों को नव वर्ष की हार्दिक बधाई |
आने वाला वर्ष ढेरों खुशियाँ और शान्ति लेकर आए | निश्चित रूप से यही कामना हम सभी करते हैं | पर क्या २००८ को अलविदा कहना इतना आसान है | अगर यह कहूँ नही तो कोई बड़ी बात नही होगी | क्यों की इस वर्ष में हमने जहाँ कुछ उप्लाधियाँ प्राप्त की हैं वही कुच्छ घटनायों ने हमें झकझोर दिया | आज हम कहतें है की दुनिया बहुत छोटी हो गई है पर हमने अपने ही घर में कदमो को दूरियां नापते देखा है | अपने शहर को पराया बनते देखा है निश्चित रूप से इस तरह की घटनाएँ लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नही | कहतें हैं हम सब एक हैं तो फिर कब से हम पूरव और पश्चिम में बटने लगे | क्या हम अपने ही देश में अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने लगे है |
नही ऐसा नही है पर यदि हमने तुच्छ राजनीती के तुस्टीकरण को नही बंद किया तो ऐसा होते देर नही लगेगा | फिर भारत नए पाकिस्तान और बांग्लादेश में बाँट जाएगा | यही भूल १९४७ में हुई थी जिसका खामियाजा आज तक भोग रहें है | हमें सोचना होगा की क्या हम एकीकृत भारत का विकास और खुशहाली चाहते हैं या टुकरों में बटे भारत का | यदि आज हमने अपनी इच्छाशक्ति नही दिखाई तो शायद आने वाले समय में केवल ख़ुद को कोसते हुए पाएंगे | क्या हम ऐसा चाहते है नही कदापि भी नही |
२००८ में दिल्ली में बम विष्फोट मुंबई में आतंकी हमला जिश्न्ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है निश्चित रूपसे अब आतंक के खिलाफ करे कदम उठाने का समय आ गया है इसके लिए अब हमें किसी का मुँह नही देखना चाहिए | क्योंकि यह हमला हमारी संप्रभुता पर है याद है वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमले के बाद अमेरिका ने किसी की नही सुनी और उसने बगदाद पर हमला बोल दिया | अपनी रक्षा में उठाया गया हर कदम जायज होता है यही बात अमेरिका ने बतानी चाही थी |
इस हमले में हमने अपने हेमंत करकरे जैसे कई जाबांज सिपाही खो दिए | आतंकवाद का खात्मा ही उनको हमारी सच्ची श्रधांजलि होगी |
२००८ में हमने बहुत सी उपलब्धियां भी प्राप्त की मसलन बीजिंग ओल्य्म्पिक्स में पहली बार तीन पदक हाशिल किए वहीं हम चाँद पर भी चंद्रयान भेजने में सफल रहे जो हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है | आज जहाँ विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा है वाही हम अभी मजबूत दिखाई दे रहे हैं | उमीद यही करतें है की आने वाले वर्ष में हम यूँ ही तरकी करते रहें |
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बुधवार, 31 दिसंबर 2008
रविवार, 21 दिसंबर 2008
शनिवार, 6 दिसंबर 2008
Christmas Dinner Table Superstitions
क्रिसमस पर रात्रि खाने के मेज सम्बन्धी अन्धविश्वाश
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- क्रिसमस में खाने की मेज को सम संख्या में मेहमानों के लिए सजाया जाता है | विषम सख्या में मेज को मेहमानों के लिए सजाना दुर्भाग्य माना जाता है
- मेज के पायों को रस्सी से बाँध दिया जाता है ताकि आने वाले वर्ष में घर चोरो और लुटेरों से बच्चा रहे |
- कोई भी दरवाजे की तरफ़ अपनी पीठ करके नही बैठता है |
- लहसुन का कटोरा मेज के निचे शक्ति और रक्षा के लिए रखा जाता है |
- मछली की खाल को प्लेट के निचे सौभाग्य के लिए रखा जाता है |
- क्रिसमस की रात्रि भोजन में नौ तरह के व्यंजन होते हैं |
- क्रिसमस पर कोई मदिरा पान नही किया जाता है |
- सभी से यह अपेक्षा की जाती है की वह अपना खाना पूरा खायेगा तथा तब उठे गा जब सब खाना खा लेंगे पहले उठाना बुरे भाग्य का आना माना जाता है |
- भोजन के बाद सभी पालतू को खाना खिलाया जाता है यह सोच कर की क्रिसमस के अवसर पर कोई भूखा ना रहे |
- शहद का बर्तन मेज पर होना यह मन जाता है की इससे बुरे से रक्षा होती है |
- मशरूम का इस्तेमाल कवक के रूप में किया जाता है जिससे अच्छा स्वस्थ्य और शक्ति मिल सके |
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बुधवार, 3 दिसंबर 2008
Decorations Superstitions on Christmas
क्रिसमस पर सजावट सम्बन्धी अन्धविश्वास
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- क्रिसमस पर अधिकतर घरों को यह मान कर सजाया जाता है की इससे अस्थिर गुस्से से बचा जा सकता है |
- घर या बाहर कोई रोशनी तब तक नही की जाती है जब तक आकाश में पहला तारा न दिख जाए |
- २४ दिसम्बर से पहले क्रिसमस ट्री को घर में नही लाया जाता है |
- ट्री को तभी सजाया जाता है जब बच्चे सो जाते हैं |
- जर्मनी ट्री की सजावट की आखरी समान अचार के आकार का होता है और सुबह जो बच्चा mक्रिसमस अचार को खोज लेता है उसे विशेष उपहार दिया जाता है |
- मोमबत्ती को खिड़की पर सारी रात जलता छोड़ घर जाता है जिससे सौभाग्य को आने वाले वर्ष में घर का रास्ता दिख सके|
- क्रिसमस के दिन घर में आने वाला पहला व्यक्ति अपने साथ सदाबहार या अंगार ले कर आता है | तथा उसे घर की सभी औरतों को चूमने का अधिकार होता है | औरतें पुरुषों को मदिरा के साथ कुछ खाने को परोश्तीं है | तथा बच्चों को सौभाग्यशाली सिक्का दिया जाता है |
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