
Subscribe to maithil by ईमेल
कविता पढ़ने के किए इमेज पर क्लिक करें |


यह चीनी मार्शल आर्ट का खिलाड़ि अपनी आंखों से मोमबती को बुझा सकता है | यह कैफेंग शहर का रहने वाला है इसका नाम लिंग चुन्जिंग है जो एक विशेष प्रकार का चस्मा पहन कर एक मिनट में करीब १२ मोमबतियों को बुझा सकता है |
यह कविता मैंने कारगिल युद्ध के समय लिखी थी | पर आज भी समय कुछ खास नही बदला है | आज भी खौफ के साये में हम जी रहें हैं | आतंक किसी समस्या का हल कभी नही हो सकता है बल्कि आतंक केवल आतंक ही हो सकता है चैन सुकून कभी नही | जो लोग आतंक के द्वारा चैन सुकून की तलाश कर रहे है क्या उन्हें कभी चैन मिला है शायद नही यदि उहें चैन मिलता तो फिर कोई ऐसा कार्य नही होता जिस पर किसी बच्चे को अनाथ होना परे | आज आतंक केवल किसी धर्म या क्षेत्र की बात नही बल्कि यह विश्व भर में एक व्यवसाय के रूप में उभर रहा है | जो धर्म और क्षेत्र की आर में चलाया जा रहा है | और अपना ऊलू सीधा करने के लिए मासूम जानो से खेला जाता है | इसकी वजह भी हम ही हैं | क्योकि हम काफी हद तक संवेदन हिन् होते जा रहे हैं और कई बार ऐसे कार्य से कोई सबक नही लेते और दूसरी घटना का इंतजार करते है जिसका परिणाम रोज हमें ऐसी घटने देखने सुनने को मिल जाती हैं और हम कबूतर की तरह आँखें बंद कर ख़ुद को सुरक्षित मह्सुश करते है|


यह एक आदम कद मूर्ति कटे मॉस "आधुनिक अफ्रोदिते" की है जिसके पॉँव उसके पीठ पर टिके है जिसे ब्रिटिश संग्राहलय में प्रर्दशित किया गया है| यह सबसे बड़ी स्वर्णिम प्रतिमा है जो प्राचीन ईजिप्ट के समय से अबतक बना है जिसका वजन ५० किलो है|
यह कविता गांधी जी को समर्पित है | आज इस तनाव के माहौल में गांधी जी कितने सार्थक है यह कहने की जरुरत नही है | यदि आप कुछ कहना चाहतें है तो अवश्य कहें| क्योंकि बीना कहे किसीका हल नही निकल सकता है |