देश का दुश्मन कौन? वो जो देश का नाम रौशन कर रहा है या वो जो देश के एक और टुकरे करने कि बात करता है ।
आज पूरे देश के सामने यह प्रश्न है कि लोकतंत्र में 'राज तंत्र' को कितनी तवज्जो देनी चाहिए । हमारी संस्कृति बृहद परिवार कि रही है पूरा देश एक परिवार है और राज और बालठाकरे जैसे नेता इस परिवार के उन कपूतों में से हैं जिन्हें यदि जल्दी नही संभाला गया तो यह परिवार आजीवन इन पर रोता रहेगा ।
ये निश्चय ही भासमा सुर से काम नही हैं जिसे जिससे वरदान मिला उसी को खत्म करने चल पड़ा।
काबिलियत तोड़ने में नही जोड़ने में है । यदि ये अपने को रहनुमा समझते हैं तो देश जोड़ें तोड़े नही । इन पर मैथिलि में प्रचलित एक कहावत "लिख अ आबई छ ता न इ मिटा ब आबई छ त दुनु हाथे " सटीक बैठती है।
ये ऐसा खेल खेल रहे हैं कि जिसमे अंतत: इन्हें कुछ नही मिलने वाला और ये भी अछि तरह जानते हैं शायद इसी कारण खुद को हर वक़्त जाताना चाहते हैं कि हम भी हैं ।
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शनिवार, 6 फ़रवरी 2010
शनिवार, 2 जनवरी 2010
विटामिन ई का ज्यादा इस्तेमाल हानिकारक है
विटामिन को पूरक आहार का पर्याय मानने वाली अवधारणा अब गलत साबित हो सकती है । एक अध्ययन में बताया गया है कि विटामिन ई का अंधाधुंध उपयोग सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है ।
तेल अवीव विश्वविद्यालय के अनुसधानकर्ता के एक समूह ने एक व्यापक अध्यन के बाद चेतावनी दी है कि विटामिनों खासकर विटामिन ई का अंधाधुंध उपयोग सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
यह अध्यन विटामिन ई के उपयोग और दिल कि बीमारी पर किया गया। विश्वविद्यालय ले सैकलर स्कूल ऑफ़ मेडिसीन के प्रोफेसर दोव लिचेंबर्ग ने कहा, 'कि विटामिन ई और विभिन्न बीमारियो पर इसके प्रभाव के बारे में विरोधाभासी रिपोर्ट हैं। खास कर दिल कि बीमारी के बारे में । '
हम इन पर सीधी रोशनी डालना चाहते हैं । सह अनुसधानकर्ता डॉ इलया पिंचुक ने बताया , 'अध्ययन से पता चला है कि कुछ लोगों को विटामिन ई से फायदा होता है तो कुछ को नुकसान होता है
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तेल अवीव विश्वविद्यालय के अनुसधानकर्ता के एक समूह ने एक व्यापक अध्यन के बाद चेतावनी दी है कि विटामिनों खासकर विटामिन ई का अंधाधुंध उपयोग सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
यह अध्यन विटामिन ई के उपयोग और दिल कि बीमारी पर किया गया। विश्वविद्यालय ले सैकलर स्कूल ऑफ़ मेडिसीन के प्रोफेसर दोव लिचेंबर्ग ने कहा, 'कि विटामिन ई और विभिन्न बीमारियो पर इसके प्रभाव के बारे में विरोधाभासी रिपोर्ट हैं। खास कर दिल कि बीमारी के बारे में । '
हम इन पर सीधी रोशनी डालना चाहते हैं । सह अनुसधानकर्ता डॉ इलया पिंचुक ने बताया , 'अध्ययन से पता चला है कि कुछ लोगों को विटामिन ई से फायदा होता है तो कुछ को नुकसान होता है
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मच्छरों के गुनगुनाने का रहस्य सम्भोग
मच्छरों का गीत गाना भले ही आपको पसंद ना हो लेकिन ये इनके प्रेम गीत है जिससे ये अपने साथी को लुभाने का प्रयास करतें हैं।
एक अध्यन के मुताबिक अपने गायकी के हुनर से ये सम्भोग करने के लिए सही साथी कि तलाश कर रहे होते हैं ।
मेडवे स्थित ग्रीनविच यूनीवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि हवा में अपने पंख फाड़फड़ा कर मच्छर यह सुर निकलते हैं । अध्यन दल का नेतृत्व करने वाले गेबरीला गिब्सन ने बताया, 'हमारे अध्ययन में इस बात का पता चला है कि मच्छर सही प्रजातियों के साथी को आकर्षित करने के ध्वनि पर निर्भर होते हैं । ससेक्स विश्वविद्यालय के अध्यानकर्ता गिब्सन और रसेल ने बताया कि एनोफिलीज गैम्बियेन मच्छरों में आनुवांशिक विविधता होती है । दो मच्छर यदि एक ही लिंग के होते हैं तो दोनों का सुर नही मिल पता है।
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एक अध्यन के मुताबिक अपने गायकी के हुनर से ये सम्भोग करने के लिए सही साथी कि तलाश कर रहे होते हैं ।
मेडवे स्थित ग्रीनविच यूनीवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि हवा में अपने पंख फाड़फड़ा कर मच्छर यह सुर निकलते हैं । अध्यन दल का नेतृत्व करने वाले गेबरीला गिब्सन ने बताया, 'हमारे अध्ययन में इस बात का पता चला है कि मच्छर सही प्रजातियों के साथी को आकर्षित करने के ध्वनि पर निर्भर होते हैं । ससेक्स विश्वविद्यालय के अध्यानकर्ता गिब्सन और रसेल ने बताया कि एनोफिलीज गैम्बियेन मच्छरों में आनुवांशिक विविधता होती है । दो मच्छर यदि एक ही लिंग के होते हैं तो दोनों का सुर नही मिल पता है।
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कित्रिम धमनी, बायपास सर्जरी में क्रांति
वैज्ञानिकों ने एक कृतिम धमनी विकसित कर ली है जो सेवई के छोटे टुकरों से मिलती जुलती है । वैज्ञानिकों का दावा है कि यह आपरेशन के दौरान दिल के दौरे के खतरे को कम कर देगी।
यह एक ऐसी प्रगति है, जिससे बायपास सर्जरी में क्रांति आ सकती है। इस शोध के लिए ब्रितानी दल का नेतृत्व कर रहे यूनिवर्सिटी कालेज ऑफ़ लन्दन के प्रोफेसर एलेक्जेंडर सिफालीयन ने बताया है कि जिन मरीजों को बायपास सर्जरी कि जरूरत होती है, उनमे से करीब ३० प्रतिशत के पास उचित शिरा नही होती जिसका वे इस्तेमाल कर सकें।
इन मामलों में चिकित्सकों के लिए ज्यादा कुछ करने को नही होता और अक्सर मरीजों कि मौत हो जाती है । अतः हमने सूक्ष्म प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल कर कृत्रिम धमनी विकसित कर ली है।
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यह एक ऐसी प्रगति है, जिससे बायपास सर्जरी में क्रांति आ सकती है। इस शोध के लिए ब्रितानी दल का नेतृत्व कर रहे यूनिवर्सिटी कालेज ऑफ़ लन्दन के प्रोफेसर एलेक्जेंडर सिफालीयन ने बताया है कि जिन मरीजों को बायपास सर्जरी कि जरूरत होती है, उनमे से करीब ३० प्रतिशत के पास उचित शिरा नही होती जिसका वे इस्तेमाल कर सकें।
इन मामलों में चिकित्सकों के लिए ज्यादा कुछ करने को नही होता और अक्सर मरीजों कि मौत हो जाती है । अतः हमने सूक्ष्म प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल कर कृत्रिम धमनी विकसित कर ली है।
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सोमवार, 16 नवंबर 2009
क्षेत्रवाद भारत की संप्रभुता को खतरा
दूरदर्शिता के अभाव में भारत गुलाम बना था | और इसका दंश दो सौ वर्षों तक झेला इतना ही नही आज भी उस गुलामी का प्रभाव देखा जा सकता है |
आजादी में साँस लेते हुए हमें अभी ज्यादा वक्त नही गुजरा है | पर शायद हमने इतिहास से कुछ नही सीखा है या कहें हम कुछ सीखना ही नही चाहते हैं | दूसरे शब्दों में हमारी मानसिकता एक कबूतर जैसी है जो यह सोच कर अपनी आँखे बंद कर लेता है की बिल्ली उसे नही देख रही है और वह सुरक्षित है | और बिल्ली उसका कब शिकार कर लेती है उसे पता भी नही चलता है |
आ बैल मुझे मार कहावत भारतवासियों पर बिल्कुल सटीक बैठती है | हम घाव के नाशूर बनने का इंतजार करते है जबकि जब चोट लगे उसका इलाज तभी करना चाहिए कभी भी हलके नही लेना चाहिए |
आज क्षेत्रवाद तेजी से फैलता हुआ नासूर है जिसको यदि जल्दी ठीक नही किया गया तो इसका परिणाम बहुत बुरा होगा या शायद भारत शब्द ही विलुप्त हो जाए क्योंकि दरख्त कितना भी मजबूत क्यों ना हो यदि उसमे दीमक लग जाए तो फिर उसे नष्ट होने से कोई नही बचा सकता है |
आज महाराष्ट्र में जो हो रहा है वह निश्चय ही लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है और भारत के संविधान को दी गई चुनौती है जो नागरिको के एक सामान अधिकार की बात करता है पर लगता है एक व्यक्ति के सामने पुरा भारत शक्तिविहीन दिख रहा है | जय जड़ हो गया हो और कुछ भी कर पाने में असमर्थ हो |
क्या देश के विरूद्व युद्घ तभी माना जाता है जब कोई बन्दूक लेकर संसद पर हमला करे | क्या महाराष्ट्र में जो हुआ और जो हो रहा है वो देश के विरूद्व युद्घ की घोषणा नही है क्या ये घटनाये हमारे संविधान को चुनौती नही दे रही है | क्या ये घटनाये ये नही कह रही है की लो तुम मेरा क्या उखाड़ लोगे दम है तो आजमा लो |
क्या देश का कानून किसी को देश का मखौल उडाने की इजाजत देता है अगर इसका जवाब इन घटनाओ को मद्देनजर रख कर दे तो जवाब हाँ में होगा |
ये हाल तब है जब उस व्यक्ति को अधिकारिक रूप से कोई प्रशासनिक अधिकार प्राप्त नही है जिस दिन उस दल के हाथो में सत्ता आ जायेगी तब क्या होगा | इसका जवाब कोई भी दे सकता है |
ऐसा लगता है की जैसे उस दल ने प्रशासन को अपनी रखैल बना छोड़ा है जो कुछ भी कर सकता है शायद यह सच भी है |
यह आग महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश तक फ़ैल चुकी है जहाँ एक मुख्यमंत्री क्षेत्रवाद की बात करता है जो निश्चय ही डूब मरने वाली बात है |
भाषा, जाती, क्षेत्र के नाम पर राजनीती करने वालों को यदि नही रोका गया तो यह भारत को बर्बाद कर देगा और इस बर्बादी को कोई नही रोक सकता है |
क्या आजादी के लिए जान गवाने वालों ने इसी भारत की कल्पना की थी | क्या हम बर्बाद भारत को देखना चाहते है जो कई टुकरों में बँटा है पर उसका नाम भारत या हिंदुस्तान नही है बस एक क्षेत्र है जहाँ लोग अपनी करनी पर रो रहे हैं और उस दिन को कोस रहे है जिस दिन क्षेत्रवाद ने पनपना शुरू किया था और वे नींद में सोये थे |
यदि नही तो पुरे भारत को इन क्षेत्रवादियों के विरूद्व खड़ा होना होगा इनका सामूहिक बहिष्कार करना होगा | याद रखें यदि आज कुछ लोगो को क्षेत्रवाद का फ़ायदा हो रहा है तो ऐसा हमेसा नही होगा यह छणिक फ़ायदा है पर नुकशान कही ज्यादा | इसलिए ऐसे लोगो को मूल राजनीती से अलग थलग करना बहुत ही जरूरी है |
आज फिर से एक असहयोग आन्दोलन की जरूरत है उन लोगो के खिलाफ जो इसको बढ़ावा देते है |
क्या सभी तैयार है इस आन्दोलन के लिए यदि हाँ तो आज से ही शुरू कर देना चाहिए और यदि नही तैयार है तो देर सवेर इस आन्दोलन में कूदना ही पड़ेगा यदि अपना भविष्य एक सुखमय भारत में देखना चाहते है | एक आजाद भारत में |
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आजादी में साँस लेते हुए हमें अभी ज्यादा वक्त नही गुजरा है | पर शायद हमने इतिहास से कुछ नही सीखा है या कहें हम कुछ सीखना ही नही चाहते हैं | दूसरे शब्दों में हमारी मानसिकता एक कबूतर जैसी है जो यह सोच कर अपनी आँखे बंद कर लेता है की बिल्ली उसे नही देख रही है और वह सुरक्षित है | और बिल्ली उसका कब शिकार कर लेती है उसे पता भी नही चलता है |
आ बैल मुझे मार कहावत भारतवासियों पर बिल्कुल सटीक बैठती है | हम घाव के नाशूर बनने का इंतजार करते है जबकि जब चोट लगे उसका इलाज तभी करना चाहिए कभी भी हलके नही लेना चाहिए |
आज क्षेत्रवाद तेजी से फैलता हुआ नासूर है जिसको यदि जल्दी ठीक नही किया गया तो इसका परिणाम बहुत बुरा होगा या शायद भारत शब्द ही विलुप्त हो जाए क्योंकि दरख्त कितना भी मजबूत क्यों ना हो यदि उसमे दीमक लग जाए तो फिर उसे नष्ट होने से कोई नही बचा सकता है |
आज महाराष्ट्र में जो हो रहा है वह निश्चय ही लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है और भारत के संविधान को दी गई चुनौती है जो नागरिको के एक सामान अधिकार की बात करता है पर लगता है एक व्यक्ति के सामने पुरा भारत शक्तिविहीन दिख रहा है | जय जड़ हो गया हो और कुछ भी कर पाने में असमर्थ हो |
क्या देश के विरूद्व युद्घ तभी माना जाता है जब कोई बन्दूक लेकर संसद पर हमला करे | क्या महाराष्ट्र में जो हुआ और जो हो रहा है वो देश के विरूद्व युद्घ की घोषणा नही है क्या ये घटनाये हमारे संविधान को चुनौती नही दे रही है | क्या ये घटनाये ये नही कह रही है की लो तुम मेरा क्या उखाड़ लोगे दम है तो आजमा लो |
क्या देश का कानून किसी को देश का मखौल उडाने की इजाजत देता है अगर इसका जवाब इन घटनाओ को मद्देनजर रख कर दे तो जवाब हाँ में होगा |
ये हाल तब है जब उस व्यक्ति को अधिकारिक रूप से कोई प्रशासनिक अधिकार प्राप्त नही है जिस दिन उस दल के हाथो में सत्ता आ जायेगी तब क्या होगा | इसका जवाब कोई भी दे सकता है |
ऐसा लगता है की जैसे उस दल ने प्रशासन को अपनी रखैल बना छोड़ा है जो कुछ भी कर सकता है शायद यह सच भी है |
यह आग महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश तक फ़ैल चुकी है जहाँ एक मुख्यमंत्री क्षेत्रवाद की बात करता है जो निश्चय ही डूब मरने वाली बात है |
भाषा, जाती, क्षेत्र के नाम पर राजनीती करने वालों को यदि नही रोका गया तो यह भारत को बर्बाद कर देगा और इस बर्बादी को कोई नही रोक सकता है |
क्या आजादी के लिए जान गवाने वालों ने इसी भारत की कल्पना की थी | क्या हम बर्बाद भारत को देखना चाहते है जो कई टुकरों में बँटा है पर उसका नाम भारत या हिंदुस्तान नही है बस एक क्षेत्र है जहाँ लोग अपनी करनी पर रो रहे हैं और उस दिन को कोस रहे है जिस दिन क्षेत्रवाद ने पनपना शुरू किया था और वे नींद में सोये थे |
यदि नही तो पुरे भारत को इन क्षेत्रवादियों के विरूद्व खड़ा होना होगा इनका सामूहिक बहिष्कार करना होगा | याद रखें यदि आज कुछ लोगो को क्षेत्रवाद का फ़ायदा हो रहा है तो ऐसा हमेसा नही होगा यह छणिक फ़ायदा है पर नुकशान कही ज्यादा | इसलिए ऐसे लोगो को मूल राजनीती से अलग थलग करना बहुत ही जरूरी है |
आज फिर से एक असहयोग आन्दोलन की जरूरत है उन लोगो के खिलाफ जो इसको बढ़ावा देते है |
क्या सभी तैयार है इस आन्दोलन के लिए यदि हाँ तो आज से ही शुरू कर देना चाहिए और यदि नही तैयार है तो देर सवेर इस आन्दोलन में कूदना ही पड़ेगा यदि अपना भविष्य एक सुखमय भारत में देखना चाहते है | एक आजाद भारत में |
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मंगलवार, 3 नवंबर 2009
सोमवार, 2 नवंबर 2009
ख़राब ड्राइविंग के लिए जीन जिम्मेदार
यदि आप किसी को ख़राब ड्राइविंग करते देखतें है तो इसमे बेचारे उस व्यक्ति का दोष नही है बल्कि इसके लिए उसका जीन जिमेदार है |
एक रिसर्च में यह पाया गया है की एक विशेष प्रकार के जीन के व्यक्ति २०% ख़राब ड्राइविंग करतें है उनके मुकाबले जिनके जीन अलग है |
अमेरिका में एक अध्यन किया गया की लोग ख़राब ड्राइविंग क्यों करतें है | अमेरिका में लगभग ३०% लोग में संस्करण जीन हैं
ये लोग ज्यादा गलती करतें है | ये समय गुजरने के साथ ही ये भूल जातें है की उन्होंने क्या सीखा था |
डॉ स्तेवें क्रेमर जो इस अध्यन के अगुवा हैं ने ये बात कही है |
क्रेमर और इनके साथियों ने २९ लोगों पर यह प्रयोग किया इनमे से २२ अलग प्रकार के जीन के थे और बाकि अलग|
जब इन को के विशेष प्रकार से ड्राइविंग करने के लिए कहा गया और इसको एक सप्ताह बाद फिर दोहराने के लिए कहा गया तो यह देख कर हैरान रह गए की उत्परिवर्ती जीन के लोगो ने ज्यादा गलती की|
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एक रिसर्च में यह पाया गया है की एक विशेष प्रकार के जीन के व्यक्ति २०% ख़राब ड्राइविंग करतें है उनके मुकाबले जिनके जीन अलग है |
अमेरिका में एक अध्यन किया गया की लोग ख़राब ड्राइविंग क्यों करतें है | अमेरिका में लगभग ३०% लोग में संस्करण जीन हैं
ये लोग ज्यादा गलती करतें है | ये समय गुजरने के साथ ही ये भूल जातें है की उन्होंने क्या सीखा था |
डॉ स्तेवें क्रेमर जो इस अध्यन के अगुवा हैं ने ये बात कही है |
क्रेमर और इनके साथियों ने २९ लोगों पर यह प्रयोग किया इनमे से २२ अलग प्रकार के जीन के थे और बाकि अलग|
जब इन को के विशेष प्रकार से ड्राइविंग करने के लिए कहा गया और इसको एक सप्ताह बाद फिर दोहराने के लिए कहा गया तो यह देख कर हैरान रह गए की उत्परिवर्ती जीन के लोगो ने ज्यादा गलती की|
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