बुधवार, 31 दिसंबर 2008

Happy New Year 2009

मिथिलामैथिल के सभी पाठकों को नव वर्ष की हार्दिक बधाई |

आने वाला वर्ष ढेरों खुशियाँ और शान्ति लेकर आए | निश्चित रूप से यही कामना हम सभी करते हैं | पर क्या २००८ को अलविदा कहना इतना आसान है | अगर यह कहूँ नही तो कोई बड़ी बात नही होगी | क्यों की इस वर्ष में हमने जहाँ कुछ उप्लाधियाँ प्राप्त की हैं वही कुच्छ घटनायों ने हमें झकझोर दिया | आज हम कहतें है की दुनिया बहुत छोटी हो गई है पर हमने अपने ही घर में कदमो को दूरियां नापते देखा है | अपने शहर को पराया बनते देखा है निश्चित रूप से इस तरह की घटनाएँ लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नही | कहतें हैं हम सब एक हैं तो फिर कब से हम पूरव और पश्चिम में बटने लगे | क्या हम अपने ही देश में अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने लगे है |

नही ऐसा नही है पर यदि हमने तुच्छ राजनीती के तुस्टीकरण को नही बंद किया तो ऐसा होते देर नही लगेगा | फिर भारत नए पाकिस्तान और बांग्लादेश में बाँट जाएगा | यही भूल १९४७ में हुई थी जिसका खामियाजा आज तक भोग रहें है | हमें सोचना होगा की क्या हम एकीकृत भारत का विकास और खुशहाली चाहते हैं या टुकरों में बटे भारत का | यदि आज हमने अपनी इच्छाशक्ति नही दिखाई तो शायद आने वाले समय में केवल ख़ुद को कोसते हुए पाएंगे | क्या हम ऐसा चाहते है नही कदापि भी नही |

२००८ में दिल्ली में बम विष्फोट मुंबई में आतंकी हमला जिश्न्ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है निश्चित रूपसे अब आतंक के खिलाफ करे कदम उठाने का समय आ गया है इसके लिए अब हमें किसी का मुँह नही देखना चाहिए | क्योंकि यह हमला हमारी संप्रभुता पर है याद है वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमले के बाद अमेरिका ने किसी की नही सुनी और उसने बगदाद पर हमला बोल दिया | अपनी रक्षा में उठाया गया हर कदम जायज होता है यही बात अमेरिका ने बतानी चाही थी |

इस हमले में हमने अपने हेमंत करकरे जैसे कई जाबांज सिपाही खो दिए | आतंकवाद का खात्मा ही उनको हमारी सच्ची श्रधांजलि होगी |

२००८ में हमने बहुत सी उपलब्धियां भी प्राप्त की मसलन बीजिंग ओल्य्म्पिक्स में पहली बार तीन पदक हाशिल किए वहीं हम चाँद पर भी चंद्रयान भेजने में सफल रहे जो हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है | आज जहाँ विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा है वाही हम अभी मजबूत दिखाई दे रहे हैं | उमीद यही करतें है की आने वाले वर्ष में हम यूँ ही तरकी करते रहें |



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रविवार, 21 दिसंबर 2008

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

Christmas Dinner Table Superstitions

क्रिसमस पर रात्रि खाने के मेज सम्बन्धी अन्धविश्वाश

  • क्रिसमस में खाने की मेज को सम संख्या में मेहमानों के लिए सजाया जाता है | विषम सख्या में मेज को मेहमानों के लिए सजाना दुर्भाग्य माना जाता है
  • मेज के पायों को रस्सी से बाँध दिया जाता है ताकि आने वाले वर्ष में घर चोरो और लुटेरों से बच्चा रहे |
  • कोई भी दरवाजे की तरफ़ अपनी पीठ करके नही बैठता है |
  • लहसुन का कटोरा मेज के निचे शक्ति और रक्षा के लिए रखा जाता है |
  • मछली की खाल को प्लेट के निचे सौभाग्य के लिए रखा जाता है |
  • क्रिसमस की रात्रि भोजन में नौ तरह के व्यंजन होते हैं |
  • क्रिसमस पर कोई मदिरा पान नही किया जाता है |
  • सभी से यह अपेक्षा की जाती है की वह अपना खाना पूरा खायेगा तथा तब उठे गा जब सब खाना खा लेंगे पहले उठाना बुरे भाग्य का आना माना जाता है |
  • भोजन के बाद सभी पालतू को खाना खिलाया जाता है यह सोच कर की क्रिसमस के अवसर पर कोई भूखा ना रहे |
  • शहद का बर्तन मेज पर होना यह मन जाता है की इससे बुरे से रक्षा होती है |
  • मशरूम का इस्तेमाल कवक के रूप में किया जाता है जिससे अच्छा स्वस्थ्य और शक्ति मिल सके |

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बुधवार, 3 दिसंबर 2008

Decorations Superstitions on Christmas

क्रिसमस पर सजावट सम्बन्धी अन्धविश्वास
  • क्रिसमस पर अधिकतर घरों को यह मान कर सजाया जाता है की इससे अस्थिर गुस्से से बचा जा सकता है |
  • घर या बाहर कोई रोशनी तब तक नही की जाती है जब तक आकाश में पहला तारा न दिख जाए |
  • २४ दिसम्बर से पहले क्रिसमस ट्री को घर में नही लाया जाता है |
  • ट्री को तभी सजाया जाता है जब बच्चे सो जाते हैं |
  • जर्मनी ट्री की सजावट की आखरी समान अचार के आकार का होता है और सुबह जो बच्चा mक्रिसमस अचार को खोज लेता है उसे विशेष उपहार दिया जाता है |
  • मोमबत्ती को खिड़की पर सारी रात जलता छोड़ घर जाता है जिससे सौभाग्य को आने वाले वर्ष में घर का रास्ता दिख सके|
  • क्रिसमस के दिन घर में आने वाला पहला व्यक्ति अपने साथ सदाबहार या अंगार ले कर आता है | तथा उसे घर की सभी औरतों को चूमने का अधिकार होता है | औरतें पुरुषों को मदिरा के साथ कुछ खाने को परोश्तीं है | तथा बच्चों को सौभाग्यशाली सिक्का दिया जाता है |

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शनिवार, 29 नवंबर 2008

Old Weird Customs of Christmas

क्रिसमस की अजीब रस्मे
  1. प्राचीन काल में दृइड्स (उस समय के ईसाई पुजारी) से जलते हुए योले लकड़ी की मशाल को लेना १२ दिन के क्रिसमस के त्यौहार एक अभिन्न हिस्सा हुआ करता था | इसे सौभाग्य के रूप में देखा जाता था |
  2. मध्य काल से विक्टोरिया के समय तक हॉट कोक्क्लेस नाम का क्रिसमस खेल बहुत प्रसिद्ध था | इस खेल में एक खिलाड़ी आंखों पर पट्टी बांधे खिलाड़ी को मुक्का मरता है और दुसरे खिलाड़ी को उस खिलाड़ी का नाम बताना होता है जिसने उसे मुक्का मारा है |
  3. मध्य काल में रीछ का सिर पारंपरिक क्रिसमस व्यंजन के रूप में इस्तेमाल होता था | यह परम्परा तब से शुरू हुई जब एक रीछ ने विश्वविद्यालय के छात्र पर हमला कर दिया और छात्र ने अपनी जान बचाने के लिए अरिस्तोतले के लेख की किताब रीछ के गले में ठूस दिया जिससे रीछ दम घुटने से मर गया और वोह छात्र रीछ का सिर काट कर अपने कॉलेज ले आया |
  4. एक सेल्टिक कथा के अनुसार फसलों के देवता दगडा ने पृथ्वी पर उपस्थित सभी अच्छी चीजों से दलिया बनाया | फ्रुमेंटी नाम का मसालेदार दलिया क्रिसमस के दिन बनाया जाता था जिसे सभी आमिर और गरीब खाते थे, जिसका स्थान अब आधुनिक क्रिसमस पुद्दिंग्स ने ले लिया है |
  5. अमेरिका के कुच्छ कस्बों के नाम क्रिसमस या इससे संबंधित परम्पराओं पर हैं | संता क्लोज नाम का क़स्बा एरिजोना और इन्डियाना में है, नोएल मिस्सौरी में है तथा क्रिसमस नाम का क़स्बा एरिजोना और फ्लोरिडा में है



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बुधवार, 26 नवंबर 2008

Weird human in history

अंधेरे में भी पढ सकता था

इटली में गियोबना गलान्ती नामक एक ऐसा बालक था, जो रात के अंधेरे में भी पढ़ सकता था | १९२८ में उसे उसकी स्वास्थ्य परीक्षा के बाद अमेरिका नही जाने दिया गया था | पढ़ते समय मुख्य कार्य मस्तिष्क करता है और कोई भी मस्तिष्क प्रकाश के बिना पढ़ नही सकता, फिर इस बालक में यह क्षमता कहाँ आई |

छः माह का था, बाइबल पढ़ लेता था

फ्रांस में जन्मे लुईस कार्डक ४ वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजी, फ़्रांसीसी, जर्मनी तथा अन्य यूरोपीय भाषाएं बोल लेते थे | इससे भी बड़ा आश्चर्य यह था की वह छह माह की आयु में ही बाइबल पढ़ लेते थे | छः वर्ष की आयु तक पहुचने पर कोई भी प्रोफेसर गणित, इतिहास और भूगोल में इनकी बराबरी नही कर पता था |

बारह वर्ष का बारह भाषायें सीखी

स्काटलैंड में जेम्स क्रिस्टन नाम के बालक ने १२ वर्ष की उम्र में अरबी, ग्रीक, यहूदी, तथा फ्लेमिश सहित विश्व की १२ भाषाएं सिख ली थी | २० वर्ष में इन सभी भाषायों का पंडित हो गया था |

चौदह वर्ष का डी .फिल

ह्लेसी पास्कल ने बारह वर्ष की आयु में ही ध्वनि शास्त्र पर निबंध प्रस्तुत कर सारे फ्रांस को आश्चर्य में डाल दिया था | जीन फिलिप बेरोतियर को चौदह वर्ष की आयु में ही डाक्टर ऑफ़ फिलोसफी उपाधि मिल गयी थी | उनकी स्मरण सकती इतनी तीव्र थी की दिन याद कराने की देर होती थी, उस दिन की व्यतिगत, राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय घटनाये भी टेप की भांति दोहरा सकते थे |

तीन साल का और आठंवी में


जनि नामक ऑस्ट्रेलियाई बालक को जब तीन वर्ष की आयु में विद्यालय में प्रवेश कराया तो वो उसी दिन से आठंवी कक्षा के छात्रों की पुस्तक पढ़ लेता था | उसे हाई स्कूल में केवल इसलिए प्रवेश नही दिया जा सका, क्यूंकि उस समय उसकी आयु कुल पाँच वर्ष थी, जबकि निर्धारित आयु १२ वर्ष न्यूनतम थी |


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गुरुवार, 13 नवंबर 2008

Weird Worship of India

चूहों की पूजा
देशनोके राजस्थान का एक छोटा सा गाँव जहाँ चूहों की पूजा होती है| यहाँ करनी देवी का मन्दिर है जहाँ आप सफेद संगमरमर पर हजारों चूहों को इधर उधर आते जाते देख सकतें हैं | यहाँ लोगो का मन्ना है की इन चूहों में उनके पूर्वजो का वास है| श्रद्धालु इस बात का पुरा ख्याल रखतें है की चूहों को कोई नुकशान पहुंचे | यहाँ रोज इनको चढावा चढाया जाता है|

दुर्रिओधन की पूजा

महाभारत में कौरवों के बड़े भाई दुर्रिओधन को बुराई का प्रतिक माना जाता है | परन्तु उत्तरकाशी उत्तर प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर के पश्चामी भाग में दुर्रिओधन की पूजा की जाती है |

नाग के लिए छज्जा

महाराष्ट्र के शोलापुर जिला के शेत्पल गाँव के हर घर में नागों के आराम के लिए छज्जा बनाया जाता है | यहाँ एक मन्दिर है जिसमे सात सिरों वाले ताम्बे का नाग भगवन शिव की मूर्ति पर है| अचरज की बात है की इस गाँव में घरों में रोज सांप घूमता है पर अभी तक किसी को सांप ने नही काटा है |
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बुधवार, 29 अक्तूबर 2008

Shauk Gulabi Pankhudion Ka


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शनिवार, 25 अक्तूबर 2008

Diwali Greetings

Deepawali Greetings
Diwali Greetings
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सभी पाठकों को मिथिलामैथिल की तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामना ये ग्रीटिंग्स आप अपनों को मेल कर सकतें हैं

बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

Kung fu fan blows out candles with eyes

Ling Chunjiang यह चीनी मार्शल आर्ट का खिलाड़ि अपनी आंखों से मोमबती को बुझा सकता है | यह कैफेंग शहर का रहने वाला है इसका नाम लिंग चुन्जिंग है जो एक विशेष प्रकार का चस्मा पहन कर एक मिनट में करीब १२ मोमबतियों को बुझा सकता है |

लिंग जो आठ साल की उम्र से अपने दादा के साथ कुंग फु का अभ्यास कर रहा | इसी दौरान इसे ज्ञात हुआ की वह आखों के जरिये मोमबती को बुझा सकता है

लिंग का एक और करतब की वह बिअर की बोत्तल की पेंदी को तोड़ सकता है वो भी बिना बांकी बोत्तल को नुकशान पहुचाये|

उसके अनुसार वह अपने खाली समय में रेस्तरां में बिअर की बोतलों को उछलने का करतब दिखाया करता था जब उसे इस बात का आभास हुआ की वह बोतल की तली को बांकी बोतल को बिना नुकशान पहुचाये तोड सकता है | चाइना समाचार एजेन्सी के अनुसार

सोमवार, 20 अक्तूबर 2008

Kya Ye Haal Ho Gaya

यह कविता मैंने कारगिल युद्ध के समय लिखी थी | पर आज भी समय कुछ खास नही बदला है | आज भी खौफ के साये में हम जी रहें हैं | आतंक किसी समस्या का हल कभी नही हो सकता है बल्कि आतंक केवल आतंक ही हो सकता है चैन सुकून कभी नही | जो लोग आतंक के द्वारा चैन सुकून की तलाश कर रहे है क्या उन्हें कभी चैन मिला है शायद नही यदि उहें चैन मिलता तो फिर कोई ऐसा कार्य नही होता जिस पर किसी बच्चे को अनाथ होना परे | आज आतंक केवल किसी धर्म या क्षेत्र की बात नही बल्कि यह विश्व भर में एक व्यवसाय के रूप में उभर रहा है | जो धर्म और क्षेत्र की आर में चलाया जा रहा है | और अपना ऊलू सीधा करने के लिए मासूम जानो से खेला जाता है | इसकी वजह भी हम ही हैं | क्योकि हम काफी हद तक संवेदन हिन् होते जा रहे हैं और कई बार ऐसे कार्य से कोई सबक नही लेते और दूसरी घटना का इंतजार करते है जिसका परिणाम रोज हमें ऐसी घटने देखने सुनने को मिल जाती हैं और हम कबूतर की तरह आँखें बंद कर ख़ुद को सुरक्षित मह्सुश करते है|

बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

Boy's best pillow

पिछले सात साल से एक आठ साल का लड़का चीन के गुंग्दोंग प्रोविंस में सांप के साथ रह रहा है| बिंग जहे के पिता जो एक चिडियां घर चलते है के अनुसार उनका लड़का जब नौ महीने का था तब से बोया सांप के साथ खेल और रह रहा है पर सांप ने उसे कभी नुकसान नही पहुँचाया बल्कि एक बार सांप ने कोबरा सांप से बिंग को बचाया | बिंग बोया को रोज रात में सोने के लिए तकिये की तरह इस्तेमाल करता है | वास्तव में दोनों की दोस्ती कबीले तारीफ है| आप क्या कहतें हैं |
source: chinaview

सोमवार, 13 अक्तूबर 2008

Man can write with tears


यह चीनी आदमी अपनी आँखों से लिख सकता है|
रु अन्तिंग ५६ वर्षीय यह व्यक्ति जो लुओयांग, हेनान प्रोविंस में रहता है अपनी नाक से पानी सोख कर आंखों की अश्रु नलिकाओं से छिर्काव कर सुलेख लिख सकता है|

इसने अपनी इस कला का प्रदर्शन हाल ही में लोट्स वर्ल्ड पार्क शंशुई शहर, गुंग्दोंग में किया |

इसको अपनी इस प्रतिभा का पता उस समय चला जब वह तैर रहा था की वह पानी को सोख कर आँखों से छिर्काव कर सकता है |
जब १९९० में इसकी नौकरी छुट गई तो यह अपनी इस अद्भुत प्रतिभा को निखारने को विवश हुआ | तीन साल के अथक प्रयास के बाद यह अब १० फिट तक आँखों से छिर्काव कर सकता है|

link

गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008

Vijaya Dhashmi

आज विजयदशमी है। हर साल की तरह इस साल भी रावन के पुतले को जलाया गया | पर क्या वास्तव में रावण जल गया | क्या हमने बुराई पर विजय प्राप्त कर ली| क्या किया हमने रावण के पुतले को जला कर | क्या कोई उत्तर है शायद नही | यदि है तो वह केवल बात के सिवाय कुछ भी नही | क्यूँ की बुराई हम सब में है | दूसरे को बुरा कहना आसान है पर स्वयम के लिए बुरा नही सुन सकते है| हम भ्रस्टाचार की बात करतें हैं | पर बढ़ावा भी हम स्वयम देतें हैं | वास्तव में बुराई पर लिखना आसान है | पर दूर करना उतना ही मुश्किल | क्यूंकि भ्रस्टाचार सभ्य समाज का अभिन्न अंग बनता जा रहा है जिसे हम अपने बच्चों को संस्कार की तरह विरासत में देने जा रहे हैं | अच्छी शिक्षा के नाम पर डोनेशन देना भी इसी बुराई का अंग है पर क्या करें बच्चे के भविष्य का सवाल है यदि डोनेशन नही दिया तो बच्चे को अच्छी शिक्षा कहाँ से मिलेगी | अब अगर डोनेशन देना है और इतनी आमदनी नही है की डोनेशन दिया जा सके तो कुछ उल्टे सीधे काम तो करने ही पड़ेगे |
इधर यह मानसिकता बनती जा रही है की यदि पैसे देकर काम बन रहा है तो हम अपना समय क्यूँ बर्बाद करें | आप सही हैं फिर भी आपको अपने काम के लिए जेब तो ढीली करनी ही होगी क्यूँ की आप अगर नही इस बुराई के भागीधर बनाना चाहते हैं तो आप से आगे या पीछे खड़े लोग बनने को तैयार हैं | तब हरे को हरिनाम वाली कहावत सत्य होगी और आपको भी इस का हिस्सा बनाना पड़ेगा |
यह तो मैंने एक तरह के विषय पर कही है ऐसी कितनी ही विषय है जिन पर कहना बांकी है| इस तरह हम रावन को कैसे जला सकते है जब हम में जिन्दा रावणों से लड़ने की हिम्मत जवाब देने लगती है| यदि कोई उत्तर है तो अवश्य बताएं|

रविवार, 5 अक्तूबर 2008

Golden girl


यह एक आदम कद मूर्ति कटे मॉस "आधुनिक अफ्रोदिते" की है जिसके पॉँव उसके पीठ पर टिके है जिसे ब्रिटिश संग्राहलय में प्रर्दशित किया गया है| यह सबसे बड़ी स्वर्णिम प्रतिमा है जो प्राचीन ईजिप्ट के समय से अबतक बना है जिसका वजन ५० किलो है|

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008

वो थे गांधी

Poem on Gandhiयह कविता गांधी जी को समर्पित है | आज इस तनाव के माहौल में गांधी जी कितने सार्थक है यह कहने की जरुरत नही है | यदि आप कुछ कहना चाहतें है तो अवश्य कहें| क्योंकि बीना कहे किसीका हल नही निकल सकता है |

मंगलवार, 30 सितंबर 2008

Man, 71, 'pregnant'

७१ साल के अमेरिकन आदमी को डाक्टरों ने बताया की वह गर्भवती है|

जॉन ग्राद्द्य पिपें नामक व्यक्ति जब कर्री जनरल हॉस्पिटल गोल्ड बाच गया तो डॉक्टर ने उसे दर्द की दवाई दे कर घर भेज दिया और उसे उपचार निर्देश में बताया की वह गर्भवती है| यह सुन कर बेचारे जॉन भौच्के रह गए|
दरअसल यह घटना कंप्यूटर में गड़बड़ी के कारण हुई|

रविवार, 28 सितंबर 2008

Hashiya

कृपया कविता पढने के लिए इमेज पर क्लिक करें |

parichay

परिचय

ना कोई हवा का झोंका हूँ
ना कोई चट्टान हूँ
मेरा तो बस इतना परिचय
मैं अदना सा इन्सान हूँ

मनोज कुमार "मैथिल"