शनिवार, 2 जनवरी 2010

विटामिन ई का ज्यादा इस्तेमाल हानिकारक है

विटामिन को पूरक आहार का पर्याय मानने वाली अवधारणा अब गलत साबित हो सकती है । एक अध्ययन में बताया गया है कि विटामिन ई का अंधाधुंध उपयोग सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है ।

तेल अवीव विश्वविद्यालय के अनुसधानकर्ता के एक समूह ने एक व्यापक अध्यन के बाद चेतावनी दी है कि विटामिनों खासकर विटामिन ई का अंधाधुंध उपयोग सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

यह अध्यन विटामिन ई के उपयोग और दिल कि बीमारी पर किया गया। विश्वविद्यालय ले सैकलर स्कूल ऑफ़ मेडिसीन के प्रोफेसर दोव लिचेंबर्ग ने कहा, 'कि विटामिन ई और विभिन्न बीमारियो पर इसके प्रभाव के बारे में विरोधाभासी रिपोर्ट हैं। खास कर दिल कि बीमारी के बारे में । '

हम इन पर सीधी रोशनी डालना चाहते हैं । सह अनुसधानकर्ता डॉ इलया पिंचुक ने बताया , 'अध्ययन से पता चला है कि कुछ लोगों को विटामिन ई से फायदा होता है तो कुछ को नुकसान होता है

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मच्छरों के गुनगुनाने का रहस्य सम्भोग

मच्छरों का गीत गाना भले ही आपको पसंद ना हो लेकिन ये इनके प्रेम गीत है जिससे ये अपने साथी को लुभाने का प्रयास करतें हैं।

एक अध्यन के मुताबिक अपने गायकी के हुनर से ये सम्भोग करने के लिए सही साथी कि तलाश कर रहे होते हैं ।

मेडवे स्थित ग्रीनविच यूनीवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि हवा में अपने पंख फाड़फड़ा कर मच्छर यह सुर निकलते हैं । अध्यन दल का नेतृत्व करने वाले गेबरीला गिब्सन ने बताया, 'हमारे अध्ययन में इस बात का पता चला है कि मच्छर सही प्रजातियों के साथी को आकर्षित करने के ध्वनि पर निर्भर होते हैं । ससेक्स विश्वविद्यालय के अध्यानकर्ता गिब्सन और रसेल ने बताया कि एनोफिलीज गैम्बियेन मच्छरों में आनुवांशिक विविधता होती है । दो मच्छर यदि एक ही लिंग के होते हैं तो दोनों का सुर नही मिल पता है।


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कित्रिम धमनी, बायपास सर्जरी में क्रांति

वैज्ञानिकों ने एक कृतिम धमनी विकसित कर ली है जो सेवई के छोटे टुकरों से मिलती जुलती है । वैज्ञानिकों का दावा है कि यह आपरेशन के दौरान दिल के दौरे के खतरे को कम कर देगी।

यह एक ऐसी प्रगति है, जिससे बायपास सर्जरी में क्रांति आ सकती है। इस शोध के लिए ब्रितानी दल का नेतृत्व कर रहे यूनिवर्सिटी कालेज ऑफ़ लन्दन के प्रोफेसर एलेक्जेंडर सिफालीयन ने बताया है कि जिन मरीजों को बायपास सर्जरी कि जरूरत होती है, उनमे से करीब ३० प्रतिशत के पास उचित शिरा नही होती जिसका वे इस्तेमाल कर सकें।

इन मामलों में चिकित्सकों के लिए ज्यादा कुछ करने को नही होता और अक्सर मरीजों कि मौत हो जाती है । अतः हमने सूक्ष्म प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल कर कृत्रिम धमनी विकसित कर ली है।

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