मंगलवार, 29 सितंबर 2009

एक व्यक्ति ने एक साथ चार शादियाँ की

जहाँ एक शादी के लिए भी लोगों को इंतज़ार करना पडता है वहीं अगर एक साथ चार चार युवतियों से एक ही साथ शादी करने का मौका मिले तो कैसा रहेगा |

दक्षिण अफ्रीका के एक व्यक्ति ने एक साथ चार महिलाओं से शादी की |

वीनें में मिल्टन म्भेले नाम के इस आदमी ने यह शादी रचाई | चारों महिलाओं ने सफ़ेद पोशाक पहन राखी थीं और चारों को अपने दुल्हे की तरफ़ से एक एक अंगूठी और चुम्बन मिला| इस विवाह में लगभग सौ लोग शरीक हुए |

दक्षिण अफ्रीका में बहु विवाह मान्य है और यह कई जनजातियों में प्रचलित है जैसे जुलूस और स्वजिस में | पर एक साथ विवाह बहुत ही विरल है |

४४ वर्षीय म्भेले इंडिका में मुनिसिपल मेनेजर हैं, कहते है एक साथ विवाह से धन की बचत हुई |

थोबिले विलाकजी से १२ वर्ष पहले ही यह शादी कर चुके हैं और इनकी ११ संताने हैं |

मैं चाहता हूँ की थोबिले विलाकजी खुश रहे और इससे साथ दुबारा विवाह करने पर संभवतः वह खुशी उसे मिले यद्यपि मैंने तीन अन्य महिलाओं के साथ शादी की है |

इनकी पत्नियों में ज़नेले लंगा और हप्पिनेस म्द्लोलो दोनों ही २४ वर्ष की हैं
इनकी सबसे छोटी पत्नी स्मंगेले केले जो २३ वर्ष की हैं के अनुसार मैं म्भेले से शादी करके आशान्वित हूँ यद्यपि अपने पति को औरों के साथ बाँटना पड़ेगा | हम सब अलग अलग रहेंगी और बारी बारी से अपने पति का साथ पाएँगी |link

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कागजों से बना विवाह पोशाक

सभी ने विवाह के लिए तरह तरह के पोशाक पहने होंगे | पर कोई वधू यदि कागजों से बना विवाह पोशाक पहने तो कैसा लगेगा |

जी हाँ चीन की एक महिला ने अपने विवाह के अवसर पर ऐसा ही पोशाक पहना जो पूरी तरह से कागजों से बना था |

शा शा के विवाह की पोशाक उसकी मित्र ज्हू ज्हू द्वारा तैयार किया गया जो पूरी तरह से कागजों का बना था |

दोनों ही युन्नान प्रोविंस के कुनमिंग शहर की एक विज्ञापन कम्पनी में पिछले १२ वर्षों से काम कर रही हैं |

ज्हू ज्हू के अनुसार जब शा शा ने अपने लिए अपना जीवन साथी ढूंढा तो मैंने सोचा की मै अपनी मित्र के लिए कुछ विशेष करुँगी |

विवाह ड्रेस डिजाइनर होने के नाते मैं के ही तरह की पोशाक बनाते बनाते थक चुकी थी इसलिए मैंने यह पोशाक पूरी तरह से कागजों का बनाया | इस पोशाक को बनने में मुझे लगभग २ महीने से जयादा का समय लगा |

यह पोशाक बहुत ही आरामदायक है और काफी सुंदर भी इसे पहन कर मुझे बहुत अच्छा लगा |

शा शा के दुल्हे मियां ली के अनुसार इस पोशाक में शा शा बहुत सुंदर लग रही थी हम दोनों इस पोशाक से बहुत खुश है पर मै उसे छुते हुए डरता हूँ की कहीं मै उसे फार न दूँ |link

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सोमवार, 28 सितंबर 2009

दोस्त की जान बचाने के लिए ख़ुद को बेचने को तैयार

दान दान नाम की २२ वर्षीय एक चीनी विद्यार्थी जो शांदोंग प्रोविंस के देज्होऊ विश्वविद्यालय में पढ़ती है ने अपनी सहपाठी की जान बचाने के लिए ख़ुद को बेचने को तैयार है |

दान दान के अनुसार वह उस व्यक्ति से शादी करेगी जो उसे £15००० के बराबर रुपया देगा जिससे वह अपनी सहपाठी का ईलाज करा सके |

उसकी सहपाठी ज्हंग युएमी को एन्सफलोम्येलिटिस नाम की बीमारी है जो मस्तिष्क से सम्बंधित है | इसका परिवार एक गरीब किसान है जो इस बीमारी के ईलाज का भारी खर्च नही उठा सकता है |

दान दान के अनुसार वह उस आदमी से शादी करने को तैयार है जो £15००० के बराबर रकम दान कर सके | जिससे उसकी सहपाठी का ईलाज हो सके |

पर आलोचकों का कहना है की दान दान एक धनि व्यक्ति से शादी करने के लिए अपनी दोस्त का इस्तेमाल कर रही है | पर जिनान कीलू हॉस्पिटल के मुख्य शैल्य चिकित्सक दान दान का समर्थन कर रहे हैं |link

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शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

सबसे वजनी नवजात शिशु

इंडोनेशिया के अस्पताल में सबसे वजनी बालक का जन्म हुआ जिसका नाम अकबर है |

अकबर रिसुद्दीन का जन्म ४० मिनट के ऑपरेशन के बाद हुआ | यह ऑपरेशन बच्चे के वजन और आकर को लेकर कठिन था |

इस बच्चे का वजन ८.७ किलोग्राम है |

बच्चे के पिता मुहम्मद हसनुद्दीन ने कहा की मैं बहुत खुश हूँ की माँ और बच्चा दोनों स्वश्थ्य हैं | और मैं सोचता हूँ की बच्चे की आवश्यकता को मैं पूरा कर पाउँगा क्योंकि इससे अन्य बच्चों की अपेक्षा अधिक दूध की आवश्यकता होगी |

डॉ सितान्ग्गंग के अनुसार बच्चे का इतना वजन गर्भ के दौरान माँ का अधिक ग्लूकोज लेना है |

यह बालक हसनुद्दीन और माँ अनी की तीसरी संतान है | इनके अन्य दोनों बच्चों का वजन जन्म के समय क्रमशः
५.३ और ४.५ किलोग्राम था |

पहले यह रिकॉर्ड जिस इन्दोनेसियाई बच्चे के नाम है उसका जन्म जकार्ता में २००७ में हुआ था तथा उसका वजन ६.७ किलोग्राम था |

गिनीज बुक में दर्ज सबसे वजनी बच्चा १८७९ में अमेरिका में हुआ था जिसका वजन १०.४ किलोग्राम था और जो जन्म के ११ घंटे बाद मर गया था |link
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गुरुवार, 17 सितंबर 2009

मितव्यता अच्छी बात है पर ...

यह एक अच्छी शुरुआत है की हमारे राजनितज्ञ फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहे हैं | पर यह प्रयास तभी सफल होगा जब जहाँ इस अंकुश से कोई खतरा न हो वहां किया जाए|

हाल ही में सोनिया गाँधी जी ने इकोनोमी क्लास में हवाई सफर किया यह सराहनिए बात है निश्चय ही यहाँ जहाँ सरकारी धन का फिजूलखर्च कम होगा तथा यह सुरक्षा की दृष्टी से भी सुरक्षित है |

पर मितव्यता उतनी ही होनी चाहिए जहाँ हमें इसकी कोई भारी कीमत ना चुकानी पड़े |

हवाई सफर और रेल सफर में काफी अन्तर है | व्यतिगत सुरक्षा की दृष्टी से रेल सफर मितव्य होने की बजाय अधिक खर्चीला है क्योंकि रेल तक गैर-सामाजिक तत्वों की पहुँच बहुत आसन है यह हाल की घटना से भी स्पष्ट हो गया है जब राहुल गाँधी जिस डिब्बे में सफर कर रहे थे उस पर पत्थर फेंके गए | यह निश्चय ही शर्मनाक घटना है |

हमारे कुछ राजनितज्ञ ऐसे भी है जो सरकारी धन को अपनी बपौटी समझते हैं| जहाँ वह सरकारी आवास में रहने की बजाय फाइव स्टार होटलों में रहना पसंद करतें है | यह इस देश के लिए दुर्भाग्य ही है की जहाँ जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त है वही एक व्यक्ति पर केवल रहने के लिए लाखों रूपये प्रतिदिन सरकारी खाते से खर्च कर दिए जाते है | यहाँ निश्चये ही अंकुश लगाने की जरूरत है |

अपने निजी काम के लिए सरकारी सुविधाओं का दुरूपयोग आज आम बात हो गई है | इसमे कुछ का आगे बढ़ कर मितव्यता का उदाहरण बनना एक सुखद अनुभूति है की हम गाँधी और शास्त्री जी देश के अंग हैं और अभी भी कहीं न कही वो हमारे मन में बसे हैं | पर यह सुरक्षित मितव्यता होनी चाहिए | और इसके लिए हमारे राजनीतिज्ञों को बढ़कर आगे आना चाहिए जो सच्चे लोकतंत्र के वाहक और उदहारण बने |

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बुधवार, 16 सितंबर 2009

१०७ वर्ष की महिला को २३ वें पति की तलाश

मलेशिया की १०७ वर्षीय महिला को २३ वें पति की तलाश है | उसे डर है की उसका २२ वां पति उसे छोड़ देगा |

इस डर के कारण और अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए २३ वीं शादी करने का मन बना रही है |

वोक कुन्दोर नाम की इस महिला ने २००५ में अपने से ७० साल कम उम्र के व्यक्ति मोहम्मद नूर चे मूसा से शादी की थी | मूसा इनके २२ वें पति हैं

पर जब से इनके पति कुवालालंपुर के नशा मुक्ति पुनर्वास केन्द्र में भर्ती हुए है इन्हे यह डर सता रहा है की कही वहां से आने के बाद उन्हें छोड़ कर इनके पति किसी युवा महिला से शादी कर लेंगे |

इसी कारण अब ये २३ वें पति की तलाश कर रही हैं |
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सोमवार, 14 सितंबर 2009

एक महिला ने ९५ वर्ष बाद ध्रुम्रपान छोडा

एक महिला ने ९५ वर्ष ध्रुम्रपान करने के बाद अंततः ध्रुम्रपान छोड़ दिया | विन्नी लांगली नाम की इस महिला का कहना है की वह ध्रुम्र्पान इसलिए छोड़ रही है क्योंकि इसमे अब उसकी रूचि नही रही | इनके अनुसार ये कैंसर से इसलिए बची रही क्योंकि इन्होने कभी सिगरेट के धुँए को पिया नही |

विन्नी जो दक्षिणी लन्दन के क्रोयडों में रहती है का कहना है की वही सिगरेट पीने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के विषय में नही जानती है वही तो केवल इसलिए छोड़ रही हैं की इससे उनका अब कोई लगाव नही रहा | इन्होने पहली बार कश सन् १९१४ में लगाया था | मेरी आँखों की रोशनी इन कुछ सालों में कमजोर हो गई है और मै सिगरेट पैक को ठीक से देख नही पाती हूँ |

विन्नी औसतन ५ सिगरेट प्रतिदिन पीतीं थीं अभी तक इन्होने कुल १७०००० से ज्यादा सिगरेट पि चुकीं हैं |

इनके डॉक्टर के अनुसार अब इनके सिगरेट छोड़ने का कोई कारण नही बचा | यदि ये १०२ वर्ष तक बिना कैंसर सिगरेट पी सकतीं हैं तो अब इसकी कोई सम्भावना नही है |link

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ईत्र ऐड्स को ठीक कर सकता है

कजाख्स्तान के एक वैज्ञानिक ने यह दावा किया है की वह ऐड्स रोगी के शरीर में ईत्र का इंजेक्शन लगा कर एच आई वी को ठीक कर सकता है |

बिने कर्ज्हौबेवा नाम के इस वैज्ञानिक का कहना है की यह एक महंगा ईत्र है |

पर ऐड्स के चिकित्सकों ने इसकी भर्त्सना की है | उनका कहना है की ईत्र का इंजेक्शन न केवल एच ई वी मरीजों के लिए ही घातक है बल्कि यह सामान्य व्यक्ति के लिए भी नुकसानदेह है या गैरकानूनी है |

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मंगलवार, 8 सितंबर 2009

एक महिला १२ बच्चों के साथ गर्भवती

ट्यूनीशिया की एक महिला के गर्भ में १२ शिशु है जिनमे ६ लड़के और ६ लड़कियां हैं | यह एक रिकॉर्ड है |

यह एक शिक्षिका है जिसने कृत्रिम गर्भधारण के द्वारा गर्भवती हुई है इससे पहले इसका कई बार गर्भपात हो गया है |

ब्रिटिश फर्टिलिटी सोसायटी के डॉक्टर मार्क हैमिल्टन ने कहा की यह विलक्षण गर्भधारण है जो सम्भव तो है पर इसमे बहुत ज्यादा खतरा है |

यह महिला जिसे लगातार चिकित्सिये निरिक्षण की आवश्यकता है स्वस्थ है और अपने बच्चों को बाँहों में लेने को बेताब है |

बच्चों के पिता जिसका नाम
मरवान है के अनुसार उसकी पत्नी सामान्य रूप से बच्चों को जन्म देना चाहती है पर विशेषज्ञों के अनुसार यह सम्भव नही है |
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सोमवार, 7 सितंबर 2009

हिटलर बनाम एड्स जागरूकता अभियान

एड्स जागरूकता अभियान के एक लिए एक ऐसा विडियो बनाया गया है जिसमे हिटलर को सम्भोग करते दिखाया गया है |
यह विज्ञापन इतना कामुक है की इसे समय रूप से नही दिखाया जा सकता है | इसमे दो युगल को एक मध्यम रोशनी में एक कमरे में सम्भोग करते हुए दिखाया गया है | इसमे जब कैमरा जब पुरूष के चेहरे पर पड़ता है तो पता चलता है की वह हिटलर है | और यह वीडियो इस संदेश के साथ ख़त्म होता है की एड्स जन कातिल है जैसे हिटलर | यह युवाओं को कंडोम प्रयोग करने के जागरूक करता है जिससे असुरक्षित यौन सम्बन्ध ना करें |

इस व्यावसायिक प्रचार को २००९ विश्व एड्स दिवस से जोड़ा जा रहा है पर एच ई वी/ एड्स पर पहले से काम करें वाली संस्थाओं ने इससे अपने दुरी बना रखी है उनका कहना है की यह प्रचार पीडितों के जीवन को और दुस्वार कर देगा जिन्होंने इस विषाणु पर ध्यान नही दिया |

यह प्रचार हमबर्ग के विज्ञापन कम्पनी दस कमिटी द्वारा के जेर्मन संस्था रेगेंबोगें ई वी के लिए तैयार की गई है जो एक एड्स जागरूक सस्थान है |

हंस वेइशौपल जो दस कमिटी के क्रिएटिव डायरेक्टर हैं के अनुसार बहुत से लोग अभी भी ये नही जानते की एड्स प्रति दिन कई लोगों की जान ले रहा है | इस विज्ञापन से हम ये बताना चाहतें है की एड्स अभी भी एक बहुत बड़ा खतरा है |

इस विडियो को जर्मन टेलीविज़न पर प्रसारित किया जाएगा वो भी ९ बजे रात के क्योंकि यह बहुत ही कामुक विडियो है |link
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मानव कृत्रिम मस्तिष्क की ओर

एक तंत्रिका विज्ञानी का दावा है कि अगले दस वर्षों के भीतर वैज्ञानिकों को मानव मस्तिष्क का माडल विकसित करने में सफलता मिल सकती है | यह कृत्रिम दिमाग असली दिमाग कि तरह काम करेगा |

स्वीटजरलैंड के 'ब्रेन माईंड इंस्टीट्युट' में प्रोफ़ेसर हेनरी मार्करैम ने मिडिया से बातचीत में कहा , " मै पुरी तरह से मानता हूँ कि ऐसा तकनीकी और जैविक रूप से सम्भव है | ऐसी ईजाद के लिए भारी संसाधन कि जरूरत पड़ सकती है | वितीय संसाधन की कमी इसमे अर्चन पैदा कर सकती है | यह बहुत ही खर्चीली परियोजना साबित होगी |' इंसान के दिमाग का माडल तैयार करना वाकई बेहद जटिल काम है , क्योंकि दिमाग करोड़ों तंतुओ, लाखों नसों व प्रोटीन और हजारों जीन से बना है | इतनी सूक्ष्मताओं का सार समझते हुए दिमाग की रचना करना बेहद जटिल तो है पर नामुमकिन नही | कभी हम रोबोट की परिकल्पना को फंतासी मानते थे , पर आज रोबोट इंसान से हजारों गुना ज्यादा सक्रियता के साथ बारीक़ से बारीक़ कार्य को कर सकता है | कृत्रिम दिमाग के विकास में पिछले सौ वर्षों में हुए शोध निष्कर्षों को एक जगह इकट्ठा कर दिमागी संक्रियाओं को समझना बड़ी चुनौती है | दिमाग के आंतरिक विद्युत चुम्बकीये रासायनिक प्रारूप के रहस्य को जानना इस दिशा में बड़ी कामयाबी होगी|

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