गुरुवार, 17 सितंबर 2009

मितव्यता अच्छी बात है पर ...

यह एक अच्छी शुरुआत है की हमारे राजनितज्ञ फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहे हैं | पर यह प्रयास तभी सफल होगा जब जहाँ इस अंकुश से कोई खतरा न हो वहां किया जाए|

हाल ही में सोनिया गाँधी जी ने इकोनोमी क्लास में हवाई सफर किया यह सराहनिए बात है निश्चय ही यहाँ जहाँ सरकारी धन का फिजूलखर्च कम होगा तथा यह सुरक्षा की दृष्टी से भी सुरक्षित है |

पर मितव्यता उतनी ही होनी चाहिए जहाँ हमें इसकी कोई भारी कीमत ना चुकानी पड़े |

हवाई सफर और रेल सफर में काफी अन्तर है | व्यतिगत सुरक्षा की दृष्टी से रेल सफर मितव्य होने की बजाय अधिक खर्चीला है क्योंकि रेल तक गैर-सामाजिक तत्वों की पहुँच बहुत आसन है यह हाल की घटना से भी स्पष्ट हो गया है जब राहुल गाँधी जिस डिब्बे में सफर कर रहे थे उस पर पत्थर फेंके गए | यह निश्चय ही शर्मनाक घटना है |

हमारे कुछ राजनितज्ञ ऐसे भी है जो सरकारी धन को अपनी बपौटी समझते हैं| जहाँ वह सरकारी आवास में रहने की बजाय फाइव स्टार होटलों में रहना पसंद करतें है | यह इस देश के लिए दुर्भाग्य ही है की जहाँ जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त है वही एक व्यक्ति पर केवल रहने के लिए लाखों रूपये प्रतिदिन सरकारी खाते से खर्च कर दिए जाते है | यहाँ निश्चये ही अंकुश लगाने की जरूरत है |

अपने निजी काम के लिए सरकारी सुविधाओं का दुरूपयोग आज आम बात हो गई है | इसमे कुछ का आगे बढ़ कर मितव्यता का उदाहरण बनना एक सुखद अनुभूति है की हम गाँधी और शास्त्री जी देश के अंग हैं और अभी भी कहीं न कही वो हमारे मन में बसे हैं | पर यह सुरक्षित मितव्यता होनी चाहिए | और इसके लिए हमारे राजनीतिज्ञों को बढ़कर आगे आना चाहिए जो सच्चे लोकतंत्र के वाहक और उदहारण बने |

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