एक तंत्रिका विज्ञानी का दावा है कि अगले दस वर्षों के भीतर वैज्ञानिकों को मानव मस्तिष्क का माडल विकसित करने में सफलता मिल सकती है | यह कृत्रिम दिमाग असली दिमाग कि तरह काम करेगा |
स्वीटजरलैंड के 'ब्रेन माईंड इंस्टीट्युट' में प्रोफ़ेसर हेनरी मार्करैम ने मिडिया से बातचीत में कहा , " मै पुरी तरह से मानता हूँ कि ऐसा तकनीकी और जैविक रूप से सम्भव है | ऐसी ईजाद के लिए भारी संसाधन कि जरूरत पड़ सकती है | वितीय संसाधन की कमी इसमे अर्चन पैदा कर सकती है | यह बहुत ही खर्चीली परियोजना साबित होगी |' इंसान के दिमाग का माडल तैयार करना वाकई बेहद जटिल काम है , क्योंकि दिमाग करोड़ों तंतुओ, लाखों नसों व प्रोटीन और हजारों जीन से बना है | इतनी सूक्ष्मताओं का सार समझते हुए दिमाग की रचना करना बेहद जटिल तो है पर नामुमकिन नही | कभी हम रोबोट की परिकल्पना को फंतासी मानते थे , पर आज रोबोट इंसान से हजारों गुना ज्यादा सक्रियता के साथ बारीक़ से बारीक़ कार्य को कर सकता है | कृत्रिम दिमाग के विकास में पिछले सौ वर्षों में हुए शोध निष्कर्षों को एक जगह इकट्ठा कर दिमागी संक्रियाओं को समझना बड़ी चुनौती है | दिमाग के आंतरिक विद्युत चुम्बकीये रासायनिक प्रारूप के रहस्य को जानना इस दिशा में बड़ी कामयाबी होगी|
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