शनिवार, 25 जुलाई 2009

डा. अब्दुल कलम की तलाशी (भारत की बेइज्जती)

एक वाकया जो निश्चित रूप से भारतवासियों के लिए बड़ी शर्म की बात है| हमारे पूर्व राष्ट्रपति की कांटिनेंटल अमेरिकी एयरलाइन्स द्वारा तलाशी ली गई| एक अरब से ज्यादा की जनसँख्या वाला भारतवर्ष क्या इतना कमजोर है की वह अपने सर्वोच्च नागरिक के सम्मान की रक्षा भी नही कर सकता है | आज हम भले ही चाँद पर पहुँच जायें | पर जब हम अपने सम्मान की रक्षा नही कर सकते है तो यह सब व्यर्थ है |

अब्दुल कलम जी केवल हमारे राष्ट्रपति ही नही रहे है बल्कि युवाओं के आदर्श पुरूष भी हैं | क्या उनके साथ हुआ व्यव्हार छ्म्य है | इसका जवाब होगा नही | क्या भारतीये अधिकारी किसी देश एक पूर्व राष्ट्रपति की तलाशी लेने की हिम्मत कर सकतें है तो जवाब होगा नही |

मुझे याद है जब बिल क्लिंटन अपने कार्यकाल मैं भारत के दौरे पर आए थे | उस समय उनकी सुरक्षा मैं भारतीये जवान नही बल्कि अमेरिकी सुरक्षा कर्मी लगे थे | इसका अर्थ स्पष्ट था की अमेरिकी सुरक्षा तंत्र को भारत पर विश्वाश नही था |

भारत के प्रतिनिधियों के साथ ऐसा वाकिया पहली बार नही हुआ है | हमारे रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाद्दिस की भी कपरे उतार कर तलाशी ली गई थी | एक स्वतंत्र देश की गरिमा का सम्मान दुसरे स्वतंत्र देश को करनी चाहिए |

यह घटना गुलामो के साथ होने वाली घटना के सामान है | इस घटना को हलके में नही लेना चाहिए | भारत सरकार को चाहिए की इसका मुखर विरोध करे | तथा इस एयरलाइन्स पर भारत में पाबंधी लगा देनी चाहिए | जो भारत का सम्मान नही कर सकता उसके लिए भारत में कोई जगह नही है |

भारत का आत्मसम्मान इतना सस्ता नही है जो किसी के हाथ की कठपुतली बन जाए | इस तरह की घटनाये निश्चित रूप से हमारे युवा विश्वाश को कम करती है और यह घटना इस बात का भी सूचक है तीसरी दुनिया का सक्तिशाली देश भारत वासत्व में कितना सक्तिशाली है |

क्या हम अपना आत्मा सम्मान बेच कर सक्तिशाली कहलाना पसंद करेंगे| जवाब है नही | क्योंकि बिना आत्म सम्मान के कोई भी सक्तिशाली या इज्जतदार नही बन सकता है |

आगे यह सवाल भारत की युवा पीढी, राजनयिक व उन सभी वर्गों पर छोड़ता हूँ जो विचारवान हैं | की हम सब को किस तरह आगे बढ़ाना है | आत्मसमान के साथ या इस के बिना?

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